सम्पादकीय

एक सामान्य मनुष्य के लिए जीवन में केवल भौतिक सुख की प्राप्ति ही सम्पूर्ण हैं जबकि असाधारण व्यक्तित्व के भौतिक सुख बहुत मायने नहीं रखता है | वो स्वयं को संतुष्ट और संतुलित रखने का प्रयास करते हैं | जीवन के हर चरण में और प्राप्ति के हर स्तर पर वो अपने आप को संतुष्ट रखने है | वास्तव में यही आत्मा को संतुष्ट रखने का सबसे बड़ा मन्त्र है | भौतिक सुख की कामना करने वाले व्यक्ति महसूस करते होंगे की उनके जीवन में संतुष्टि नहीं आ पाती क्योंकि चाह और प्राप्ति की  कोई अधिकतम सीमा नहीं है | आप जितना प्राप्त करते जायेंगे आपके जरुरत बढ़ती जाएगी क्योंकि आपने मन को संतुष्ट करना नहीं सीखा है | मनुष्य को अपनी जरुरत को पूरा करने के साथ-साथ आध्यात्मिक चिंतन पर भी ध्यान देना चाहिए जो उसके वर्तमान जीवन को संतुलित करता है |

 

इसी दिशा में एक जो बड़ी चीज़ है वो है आपकी अपनी ख़ुशी ,आपका अपना शौक | भौतिक सुख की कामना करने वाले लोग अक्सर जीवन के पड़ाव पर यह महसूस करते हैं कि उनसे कुछ छूट गया तब उन्हें एहसास होता है कि उन्होंने शरीर के लिए तो बहुत कुछ किया किन्तु मन और आत्मा को खुश रखने पर ध्यान नहीं दे पाए |

 

कोरोना काल पूरे विश्व के मानवजाति के लिए कष्टकारी रहा | भविष्य में अच्छे की उम्मीद कर रहे हैं परन्तु हमें नहीं पता की इस वायरस की वजह से अभी क्या-क्या देखने को मिल सकता है | बीते दिनों हमारे अपने बहुत से मित्र ,रिश्तेदार हमसे दूर चले गए | इस क्रूर कोरोना से अचानक से उनके जीवन को ऐसा छीन लिया कि उन्हें कुछ सोचने-समझने का अवसर ही नहीं मिला | कुछ आयु के अंतिम पड़ाव में  थे , कुछ जीवन में मध्यकाल में और कुछ प्रारंभिक दौर में भी | बहुत दुःखद रहा | लेकिन इससे और चीज़ निकल कर आती है कि जीवन अनिश्चित है | जीवन तो छोड़िये ,हम इतना भी दावा भी नहीं  जो आज है वो कल रहेगा या नहीं |

 

जब इतनी अनिश्चितता है जीवन में तो फिर क्यों हम भौतिक सुखों के पीछे भागते रहते हैं | क्यों न हम एक सीमित लक्ष्य निर्धारित करके मन और आत्मा की संतुष्टि के लिए काम करें | इस संसार बहुत ऐसे लोग भी हैं जिनकी सामन्य जीवन की जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती | अगर मनुष्य अपनी जरुरतों को सीमित करके जरूरतमंदों के  लिए कुछ कर सके तो निश्चित रूप से उसे बहुत शांति मिलेगी | अपनी मुलभुत जरुरत पूरा करने के बाद स्वयं के लिए अनायास ही भागने से बेहतर हैं उनका दुःख बाटें जिन्हें अभी भी वो चीज़ें मुहैया नहीं हो पा रहीं जो एक सामान्य जीवन के लिए अति आवश्यक है | जो जिस प्रकार से समर्थ हैं उसे मानवता के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करते रहना चाहिए | चाहे वो व्यापारी हो ,चाहे राजनेता ,चाहे खिलाड़ी ,चाहे साहित्यकार इत्यादि -इत्यादि |

 

आइये सब मिल करके समाज को जोड़ने में सहयोग दें ,इस कोरोना काल में जिसने-जिसने अपनों को खोया है,उसे सहारा दें | अगर आपकी मूलभूत  जरूरतें पूरी हो रही है तो थोड़ा-थोड़ा उनके लिए भी कुछ करें जिनकी ऑंखें किसी अपनों के  इंतज़ार में आँसुओं की नदी बहा रही है | यह दौर भी बीत जायेगा लेकिन हमें जीवन में समभाव से आगे बढ़ना होगा |

 

 

–विनोद पाण्डेय

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